पिता की अर्थी को कंधा तो दिया बेटे ने लेकिन मुखाग्नि नहीं दे पाया बेटा, अर्थी के कंधा देने के दौरान मोक्ष धाम पहुंचते ही सदमे से गस खाकर गिर बेटा , बेटे की भी हुई मौत

पिता की अर्थी को कंधा तो दिया बेटे ने लेकिन मुखाग्नि नहीं दे पाया बेटा, अर्थी के कंधा देने के दौरान मोक्ष धाम पहुंचते ही सदमे से गस खाकर गिर बेटा , बेटे की भी हुई मौत

ब्यावर-नियति पर किसी का बस नहीं है. कभी-कभी नियति क्रूर खेल खेलती है. जिले के जालियां द्वितीय गांव में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. पिता की अर्थी को कांधा देकर पुत्र शमशान के करीब तक तो ले आया, लेकिन पिता को मुखाग्नि नहीं दे पाया. पिता के निधन के सदमे में पुत्र अचेत होकर गिर पड़ा. लोगों ने पिता की अर्थी को श्मशान और पुत्र को विजयनगर अस्पताल पंहुचाया. जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया. इस घटना से हर कोई स्तब्ध है. जालियां द्वितीय गांव में शौक की लहर छा गई है. जिसने भी इस घटना के बारे में सुना उसकी आंखें नम हो गई.

जालियां द्वितीय गांव के सरपंच आदित्य कुमार खेतावत ने बताया कि गत 2 सितंबर को गांव के ब्रह्मपुरी मोहल्ले में रहने वाले वृद्ध राधा कृष्ण नागला का निधन हो गया था. अंतिम संस्कार मंगलवार को होना था. पिता की मौत से बेटा महावीर प्रसाद काफी सदमे में था. खेतावत ने बताया कि महावीर ने पिता की अर्थी को कांधा भी दिया, लेकिन श्मशान के समीप आते ही महावीर अचानक अचेत होकर गिर पड़ा. इससे अंतिम यात्रा में हड़कंप मच गया. कुछ लोग महावीर को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां से उसे विजयनगर सरकारी अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया. यहां इलाज के दौरान महावीर ने दम तोड़ दिया.

परिवार में नहीं बचा मुखिया: अस्पताल में इस घटना के बारे में जिसने भी सुना, वह स्तब्ध रह गया. इधर गांव में राधा कृष्ण के परिजनों और रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार कर दिया. वहीं दोपहर को महावीर का अंतिम संस्कार किया गया. खेतावत ने बताया कि राधा कृष्ण नागला के बाद महावीर प्रसाद पर ही परिवार की जिम्मेदारी थी. दरअसल महावीर प्रसाद के भाई राजकुमार की चार साल पहले मौत हो चुकी है. ऐसे में परिवार में मुखिया का साया ही नहीं रहा. परिवार में महावीर और राजकुमार की पत्नियां और उनके बच्चे हैं.