नवरात्रा पर विशेषः घाटारानी माता मंदिर के पट हुए बंद, दुर्गा अष्टमी पर खुलेंगे ।
मंदिर के पट बंद रखने की परंपरा मंदिर निर्माण के समय से चली आ रही है। 8 दिन तक मंदिर के बाहर से होते हैं दर्शन ।
जहाजपुर | नवरात्रा में हर माता के दरबार में घट स्थापना के साथ ही 9 दिन तक विशेष श्रृंगार कर पूजा-अर्चना होती है, लेकिन जहाजपुर तहसील मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जन जन की आस्था का केंद्र व जहाजपुर उपखंड क्षेत्र का प्रमुख शक्तिपीठ स्थल घाटारानी माता मंदिर की परंपरा अनूठी है । यहां नवरात्र में मंदिर के पट बंद हो जाते हैं जो अष्टमी के दिन सुबह 7 बजे खुलते हैं । 8 दिन तक पूजा-अर्चना निज मंदिर के बाहर ही होती हैं । मंदिर के पट अमावस्या को दोपहर 12 बजे माता की आज्ञा के साथ पुजारी शक्तिसिंह ने मंदिर के पट बंद किए जो अष्टमी के दिन खुलेंगे । मंदिर के मुख्य पुजारी शक्ति सिंह तवर ने बताया कि नवरात्रा में 8 दिन तक मंदिर के पट बंद रखने की परंपरा मंदिर निर्माण के समय से चली आ रही है । माता की आज्ञा से मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं । 8 दिन तक श्रद्धालुओं को बाहर से ही दर्शन करने पड़ते हैं । अष्टमी के दिन सुबह श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मंगला आरती के साथ मंदिर के पट खोले जाते हैं । पट खुलने के साथ ही माता के लिए पचानपुरा के राजपूत परिवार से भोग आता है। इसके बाद श्रद्धालुओं को माता के दर्शन हो पाते हैं ।
साल में दो बार लगता है मेला- घाटारानी माता के मंदिर में शारदीय और चैत्र नवरात्रा में मेले का आयोजन होता है । अष्टमी के दिन लगने वाला मेला दो दिन तक चलता है । जिसमें दूर दराज से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है । मेले में विभिन्न शहरों से यहां दुकानदार आते हैं ।
घाट पर बेटी इसलिए घाटारानी- जहाजपुर उपखंड मुख्यालय से घाटारानी माता का मंदिर करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है । ऊंचे पहाड़ों के बीच माता रानी का दरबार बना हुआ है । पहाड़ पर मंदिर बना होने के कारण माता को घाटारानी के नाम से पुकारा जाता है । मंदिर का निर्माण राजपूत वंशजों ने कराया था । घाटारानी माता तवर राजपूतों की कुलदेवी है । इस कुल के लोग किसी भी शुभ कार्य करने से पहले माता के दर्शन करने पहुंचते हैं ।
हर मनोकामना होती है पूर्ण- घाटारानी माता के मंदिर में आने वाले भक्त मनोकामना लेकर आते हैं । बताते हैं कि माता भक्तों की मुराद पूरी करती है । नवरात्रा में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है । अष्टमी के दिन मेला भरता है । अष्टमी के दिन माता के मंदिर में पैदल यात्रियों के कहीं जत्थे यहां जयकारों के साथ पहुंचते हैं ।
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