भीलवाड़ा-देश में नदी से नदी जोड़ने के मामले में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज बड़ा बयान दिया उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बीच पहला एम.ओ.यू हो चुका है और जल्द ही कार्य प्रारंभ हो जाएगा वहीं प्रदेश में ईआरसीपी को भी नदी से नदी जोड़ने के लिए गहलोत सहमति नहीं दे रहे हैं वरना यह योजना भी नदी से नदी जोड़ने की योजना में शामिल हो सकती है ।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आज भीलवाड़ा जिले के प्रवास पर रहे इस दौरान उन्होंने प्रेस से मुखातिब होते हुए नदी से नदी जोड़ने के सवाल पर कहा कि स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के समय अटल बिहारी वाजपेई के सपने व सुप्रीम कोर्ट निर्देश के तहत एक कमेटी बनी थी जिनके सुरेश प्रभु अध्यक्ष थे । उस कमेटी ने प्रारंभिक तौर पर काम करते हुए 30 ऐसे लिंक आईडेंटिफाई किए थे जिसके तहत सरप्रेस बेसिन से डेफिसियन बेसीन ( पानी अधिक है वहा न्यूनतम वाले पानी के स्थल पर) पानी प्रवाहित किया जा सके हैं । यह वर्तमान की आवश्यकता भी है क्योंकि देश का लगभग 18% हिस्सा जहा हर वर्ष बाढ़ की स्थिति रहती है लगभग उतना ही राजस्थान सहित कहीं प्रदेशों में ऐसा हिस्सा है वहां सूखा पड़ता है। जहां सरकार इस योजना के तहत काम कर रही थी लेकिन दुर्भाग्य से 2004 में हमारी सरकार नहीं बन पाई ओर 10 साल तक मनमोहन सरकार ने इसको ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
2014 में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद फिर से नदी से नदी जोड़ने के मुद्दे पर विचार प्रारंभ हुआ। नितिन गडकरी जब जल संसाधन मंत्री थे इन सारे 30 निम्स(योजना) पर डीपीआर बनाई गई और डीपीआर के बाद फ.आर बनी । अभी तक 15- 16 निम्स की डीपीआर बनाकर स्टेट के साथ साझा की है । मैं प्रशन्नता के साथ कह सकता हूं कि इस दिशा में पहली सकारात्मक सफलता हमें मिली है जिसके तहत मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बीच समझौता हुआ है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में दोनों राज्यों के बीच एमओयू हुआ है ओर केन व विप्ल नदी को जोड़कर मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बीच स्थित बुंदेलखंड का जो देश का सर्वाधिक सूखा क्षेत्र माना जाता है वहां नदी से नदी जोड़ने के तहत 65 लाख लोगों को पेयजल वह 20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की सिंचाई की नई जमीन सुरक्षित होगी। इस डीपीआर के लिए 45 हजार करोड़ की परियोजना स्वीकृत हो गई है और काम प्रारंभ होने की स्थिति में है। इसी तरह कर कुछ और लिंक को भी जोड़ने के लिए आईडेंटिफाई किया है मैं प्रसन्नता के साथ कह सकता हूं कि जिस ईआरसीपी को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इतना विवाद करते हैं उसमें हमने पार्वती, काली सिंध व चंबल लिंक जो 30 लिंक में शामिल था उनको वह इस आरसीएफ को जोड़कर नई ई.आर.सी.पी की कल्पना की है जिससे राजस्थान को ढाई हजार एमसीएम पानी मिलेगा वह मध्य प्रदेश को 1300 एमसीएम पानी मिलेगा। दोनों राज्यों के लगभग चार करोड लोगों को पीने के पानी के लिए 30 साल की गारंटी मिलेगी वह राजस्थान में 7 लाख एकड़ व मध्य प्रदेश में ढाई लाख एकड़ जमीन सिंचाई के लिए सृजित होगी। हमने नदी से नदी जोड़ने के परियोजना में शामिल कर लिया और उसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में पारित कराकर देश की पांच प्रायोटी में जोड़ा गया इसमें सरकार व राज्य के बीच सैद्धांतिक सहमति दे सकते हैं लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सहमति नहीं दी है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहमति देते हैं तो यह नदी जोड़ने की योजना में आ जाएगा ।इसमें 90% पैसा भारत सरकार देती है और 10% पैसा राज्य सरकार को देना होगा।
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