आखिर क्यों बंद है आज भीलवाड़ा जिले का मांडल कस्बा

भीलवाड़ा जागरूक - जिले के मांडल कस्बे में एकादश्मी से पूर्व दशमी को परंपरागत तरीके से बड़ा मंदिर से भगवान चारभुजा नाथ का बेवान निकलता है बैवान के दौरान भक्त भजन कीर्तन के साथ कस्बे के प्रमुख मार्ग से होते हुए पुनः चारभुजा मंदिर पहुंचता है ।

जहां बीती रात भगवान के बैवान कस्बे से गुजर रहा था जहा कस्बे के लखारा चोक में समुदाय विशेष द्वारा मुहर्रम को लेकर साऊड लगाये गये जहा दुसरे समुदाय के लोगो ने साउंड बंद करने के लिए बोला लेकिन साउंड बंद नहीं किया गया जिससे गहमागहमी हो गई और दोनो समुदाय के लोग आमने सामने हो गये थे । जहा मुस्लिम समुदाय का आरोप था की ताजिया से पहले दो दिन पूर्व छड़ी निकालने का रिवाज है इस दौरान हिन्दू समाज द्वारा उसके रास्ते में तेलियो के मोहल्ले में भजन कीर्तन रख दिए और जब छड़ी उस स्थान के पास निकली तो तेज आवाज में कीर्तन करना प्रारंभ कर दिया था जिससे छड़ी निकालने में दिक्कत आई थी ये कार्य केवल मात्र सौहार्द बिगाड़ने के लिए किया गया था उसी तर्ज पर लखारा चोक में भी जब बेवान पहुंचा तो मुस्लिम समुदाय के लोगो ने साउंड बंद नहीं किया जिससे विवाद बढ गया और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
जहा सुचना मिलते ही पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा ओर समझाइश कर मामले को शांत करने का प्रयास किया गया ।


जहा मांडल थाना प्रभारी मुकेश कुमार वर्मा ने कहा कि
 बीती रात को साउंड बंद करवाने को लेकर कुछ मामला सामने आया था लेकिन हम मौके पर पहुंचे ओर मामले को समझास कर मामले को शांत करवाया । आज कस्बे मैं लोगो ने स्वेच्छा से बाजार बंद रखे हैं। इस.दौरान आज मांडल कस्बे में जगह-जगह पुलिस का जाब्ता तैनात किया गया है।

गौरतलब है की मांडल का लखारा चोक वही स्थान है जहा पर 8 अप्रेल 2005 को माण्डल में चारभुजा नाथ का बेवाण निकाला जा रहा था जोकि लखारा चौक पहुंचा ही था कि अचानक अंसारी मोहल्ले से एक पक्ष के लोग आ गए और गुलाल फेंकने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी कर पथराव कर दिया जिससे कई पुलिस कर्मी और अधिकारी चोटिल होगए उसके बाद माण्डल में दंगा भड़क गया था ओर कई दुकानें आग के हवाले कर दी गई उस दौरान पुलिस की गोली लगने से कन्हैया लाल दास की मौत हो।गई थी ।