आखिरी सांस तक तन, मन और धन से सनातन धर्म की करेगें सेवा-महामंडलेश्वर हंसराम

भीलवाड़ा जागरूक- अखण्ड भारत के बटवारें में सनातन धर्म की रक्षार्थ अपना सर्वस्व कुर्बान करने वाली सिंधी कौम को निरंतर भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। नित्य नए-नए प्रलोभन और आकर्षण दिए जा रहे है। परंतु सिंधु सन्त समाज ने भी कमर कस ली है। विरोधियों के हर एक प्रहार का जवाब दिया जाएगा। सिंधी कौम ने अपनी मातृभूमि जरूर छोड़ी है, परन्तु हम अपनी सिंन्धु सनातन संस्कृति को कभी नही छोड़ सकते। हम हमारे बुर्जुर्गो के त्याग को व्यर्थ नही जाने देंगे। उनके द्वारा स्थापित गौरवशाली परम्पराए, रीति-रिवाज और त्योहारों के अस्तित्व पर कभी भी आंच नही आने देंगे। सिंधी सनातनी था और सदैव सनातन में ही प्रतिष्ठित रहेगा। उसके लिए हम प्रकार की लड़ाई लड़ने को तैयार है।

यह उद्गार भीलवाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी महाराज जी ने छिंदवाड़ा में श्री सदगुरू बाबा अचलप्रसाद महाराज जी के 139वें प्राकट्य महोत्सव के त्रिदिवसीय कार्यक्रम के उपलक्ष्य में वर्तमान पीठाधीश्वर श्री महंत स्वामी अर्जनदास महाराज जी के सान्निध्य आयोजित विराट सनातन धर्म सभा के मंच से व्यक्त किये।
कार्यक्रम के आरम्भ में पूज्य पंचायत, जय गुरुदेव सेवा समिति और अन्य सामाजिक संगठनों ने देश के कोने-कोने से पधारे सन्तो का पुष्पहार और शाल-श्रीफल से सम्मानित किया।
ज्ञात हो कि महामंडलेश्वर महाराज जी विगत डेढ़ महीने से सनातन धर्म प्रचार यात्रा में अमेरिका प्रवास पर थे। जहां पर उन्होंने अनेक धर्म सभाओं को सम्बोधित कर सनातन धर्म का अलख जगाया। और वहाँ से स्वदेश लौटते ही सीधे छिन्दवाड़ा सनातन धर्म सभा में सम्मिलति हुए।
धर्म मंच से पूज्य सन्तों के आह्वान पर उपस्थित विशाल जनसमुदाय ने दोनों हाथ ऊपर कर संकल्प लिया कि हम सिंन्धु सनातन संस्कृति के अनुकूल ही आचरण करेंगे और अपनी आने वाली पीढ़ी में भी उच्च सनातन संस्कारो का प्रोषण करेगें।
इसके अलावा अखिल भारतीय सिंन्धु सन्त समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी हंसदास (रीवा), कोषाध्यक्ष महंत स्वामी स्वरूपदास (अजमेर), प्रदेश उपाध्यक्ष महंत स्वामी गणेशदास  (भीलवाड़ा), स्वामी माधवदास  (इंदौर) और स्वामी संतूराम  (सिवनी) आदि ने सनातन धर्म सभा को सम्बोधित किया।
एक ही मंच पर अनेक धर्म स्थानों के महान विभूतियों का दर्शन, और सारगर्भित प्रवचन श्रवण कर उपस्थित विशाल भक्त मण्डल ने धन्यता का अनुभव किया।
अखिल भारतीय सिंन्धु सन्त समाज के सभी पदाधिकारियों द्वारा इस त्रिदिवसीय कार्यक्रम के मुख्य आयोजक श्री महंत अर्जनदास महाराज जी का शाल-श्रीफल द्वारा सम्मान किया।
विशाल भंडारे के साथ कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ।