बिजौलियां(जगदीश सोनी)।देवशयनी एकादशी जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में डुली बोलावणी ग्यारस भी कहा जाता हैं,पर कस्बे की छोटी बालिकाओं ने कपड़े के गुड्डे-गुड़िया (डुलिया) बना कर नदी-तालाबों में विसर्जित किया। आकर्षक परिधान पहन कर ये बालिकाएं समूह में गीत गाते हुए अपने परिजनों के साथ पुल की नदी पर पहुंची और डुलियों को नदी के पानी में विसर्जित किया।इसके बाद बालिकाओं ने नदी के किनारे पर गुड़-धाणी व अन्य व्यंजनों को साथ बैठ कर खाया।मान्यता हैं कि अच्छी बारिश की कामना को लेकर ये डुली बोलावणी पर्व मनाया जाता हैं।इसीके साथ ही चार महीनों के लिए शादी-ब्याह,गृह प्रवेश और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नही होंगे।
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