महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने फारगो, नार्थ डकोटा (अमेरिका) में किया सत्संग

भीलवाड़ा-(मूलचन्द पेसवानी ) हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी हंसरामजी, जो आजकल सनातन धर्म एवं सिंधु संस्कृति के प्रचार के लिए अमेरिका की यात्रा पर हैं, ंने फारगो अमेरिका में शनिवार को वहां स्थित हिंदू मंदिर में सत्संग प्रवचन किया। 
संडियागो से फारगो पहुंचे महामंडलेश्वर ने बताया कि फारगो संयुक्त अमेरिका के उत्तर मध्य में स्थित नॉर्थ डकोटा प्रदेश में एक शहर है। जहां की आबादी लगभग तीन लाख है। ऐसे में वहां बसे सभी हिंदू सनातन प्रेमियों ने कुछ अरसे पहले सनातन धर्म देवस्थान फाउंडेशन के माध्यम से सनातन मंदिर ( हिंदू टेंपल ) का स्थापन कराया। जहां नित्य पाठ पूजा अर्चना की जाती है। संयोग से जब स्वामीजी का अपने भक्तों गुरमुख व आकांक्षा आडवाणी के घर आगमन का कार्यक्रम निश्चित हुआ, तो वहां के सनातनी बंधुओं ने मिलकर स्वामीजी को अपने सत्संग प्रवचन से उनका मार्गदर्शन करने का आग्रह किया। 
महामंडलेश्वर स्वामी हंसरामजी ने अपने सत्संग में सभी सनातनी प्रेमियों को सत्य की राह, अपने सनातन धर्म के साथ चलने को कहा। अपनी आने वाली पीढ़ी को अपनी सिंधु सभ्यता एवं सनातन धर्म की जानकारी देकर उन्हें भी प्रेरित करना सभी सनातनियों का प्रथम कर्तव्य है। स्वामीजी ने सम्पूर्ण विश्व में चल रहे कुछ कट्टरपंथियों द्वारा धर्मांतरण से सभी को सावधान रहने को कहा। जो भटक गए हैं उन्हें भी सही मार्ग पर वापस स्वधर्म अपनाने को कहा । 
स्वामी ने अपने मूल मंत्र सुख चाहो तो सेवा करो, सुख चाहो तो सुमिरन करो। घर में सुख समृद्धि चाहो तो सनातन धर्म अपनाओ के माध्यम से सेवा और सुमिरन करने के लिए प्रेरित किया। स्वामीजी ने अपने सत्संग में सभी को नियम पूर्ण नित्य प्रतिदिन कुछ सेवा और हरि सिमरन करने को कहा। उन्होंने बताया कि मानव की सदगति के ये ही दो सबसे सरल मार्ग हैं।  
सत्संग के पश्चात सभी ने भंडारा प्रसाद ग्रहण कर महामंडलेश्वर स्वामी हंसरामजी से आशीर्वाद प्राप्त किया। स्वामी जी के सत्संग को संचालित करने में आकांक्षा आडवाणी, गुरमुख आडवाणी उनके पुत्र नीरज एवं ऋषभ आडवाणी परिवार ने मुख्य रूप से सेवा की। इस से पूर्व बुध पूर्णिमा के पावन अवसर पर परम पूज्य बाबा शेवाराम साहिब का मासिक प्राकट्य उत्सव पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी हंसरामजी द्वारा गुरमुख व आकांशा आडवाणी के आवास पर मनाया गया।