अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो हर काम में चुनौतियां भले ही है लेकिन चुनौतियों को पार करते हुए आगे बढ़ सकते हैं यही कर दिखाया भीलवाड़ा जिले की शाहपुरा पंचायत समिति के कनेछन खुर्द गांव की होनहार पशुपालक सूरतराम जाट ने जिन्होंने कारपोरेट जगत में काम करने के साथ अब देसी गिर नस्ल की गाय पालने का काम शुरू किया और गाय का दूध ना बेच कर दूध से घी बनाकर ऑनलाइन 4500 रूपये प्रति किलो घी बेचकर महीना का लाखों रुपए मेहनताना कमा रहे हैं।
भीलवाड़ा जागरूक- यहां तक कि जिस तरह द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण गाय चराते समय बांसुरी बजाते थे इसी प्रकार कलयुग में पशुपालक गायों को दिनभर भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की धुन व भगवान श्री कृष्ण के भजन सुनाते हैं। जहा पशुपालक का मानना है कि इससे हमारा मन भी एकाग्र रहता है और गाय भी कान लगाकर भगवान श्री कृष्ण के भजन सुनती है जिससे गायो का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण गाय चराते समय बंसरी बजाते थे । जब भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते थे तब उस समय गाये भी भगवान श्री कृष्ण के पास खड़ी रहती थी इसी प्रकार कलयुग में भी भीलवाड़ा जिले की शाहपुरा पंचायत समिति के कनेछन खुर्द के पशुपालक सूरज राम जाट भी देसी गिर नस्ल की गाय पालते हैं और उनको भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की धुन व भजन सुनाते हैं यहां तक कि किसान देसी नस्ल की गाय पालकर महीने का लाखों रुपए मेंहनताना कमाते हैं।
भीलवाड़ा जागरूक की टीम होनहार पशुपालक के घर पहुंची तो गाय पालने की व्यवस्था देखकर दंग रह गई। जिस तरह परिवार में लोगों को रहने की व्यवस्था की जाती है उसी प्रकार गायों के लिए भी व्यवस्था की गई है जहां गाय पालन के स्थल पर भगवत गीता ,भगवान श्री कृष्ण व रामायण से जुड़े उपदेश हर दीवार पर लिखे हुए थे। वही गायों को आधुनिक सुविधा युक्त खाने -पीने की व्यवस्था करते हुए छत पर हवा के लिए पंखे लगाए हुए थे वही प्रत्येक 10 फीट पर स्पीकर लगाए हुए हैं जिस पर दिन-रात भगवान श्री कृष्ण के भजन चलते रहते हैं। यहां तक की अपने खेत पर पशु पालने की व्यवस्था कर रखी है जिस स्थल पर छोटे-बड़े पशु के लिए अलग-अलग ठहरने की व्यवस्था करी हुई है।
पशुओं को खिलाया जाता है बिना खाद का चारा वह घर बनाया हुआ अनाज- जहां किसान पशुपालन में काफी नवाचार किए हैं यहां तक कि अपने खलियान में जब खरीफ की फसल के समय पशुओं को खिलाने की ज्वार की बुआई करता है तो उसमें किसी प्रकार का अंग्रेजी खाद डीएपी व यूरीया नहीं डालता है पशु पालक सिर्फ देसी गाय के खाद का ही उपयोग कर फसल की बुवाई करता है। यहां तक कि पशुओं को खिलाने वाला अनाज (बांटा) घर पर ही मक्की, बाजरा, ज्वार , जौ व गुड का मिश्रण कर बनाता हैं।
जहां होनहार पशुपालन सूरतराम जाट ने भीलवाड़ा जागरूक से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए कहा कि मेरा जन्म एक गरीब परिवार में हुआ मेरे पिता के पास पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे मैंने बारहवीं तक अध्ययन कर एक प्राइवेट कंपनी में श्रमिक के रूप में काम किया फिर खुद एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई उस कम्पनी में अभी भी काम करने के साथ मेंने देशी गिर नस्ल की गाये पालने का काम शुरू किया है उस पर मै काम कर रहा हूं।
देसी गाय पालने का मुख्य उद्देश्य क्या जिस सवाल पर पशुपालक ने कहा कि लोगों ने गाय पालने के बारे में कैलकुलेशन नहीं किया है केवल पशुपालक सोचता रहता है कि देसी गाय पालना अच्छा नहीं है उसमें कम फायदा मिलता है जबकि अच्छी तरह से कैलकुलेशन करेंगे तो उनको पता चलेगा कि अमेरिकन वह दूसरी नस्ल की गाय के बजाय देसी नस्ल की गाय पालना अच्छा है । देसी नस्ल की गायों में रखरखाव व खाने मे बहुत कम खर्च आता है अंग्रेजी नस्ल की एक गाय पालने के बजाय गिर नस्ल की तीन गायों की सेवा कर सकते है। मेरे पास गिर गोवंश की 70 तरह की गाये हैं । मेने पिछले वर्ष 2 लाख से 3 लाख रूपये मे एक गाय बेची थी । एक गाय 6 से 10 लीटर प्रति टाइम दुध देती है । मेरे यहां एक टाइम 80 लीटर दूध का उत्पादन होता है लेकिन मैंने आज तक कभी दूध नहीं बेचा है मै सिर्फ घी बेचता हूं। पहले मैं 2000 रूपये प्रति किलो के भाव से घी बेचता था । वर्तमान में हमारा एक नई कंपनी से एग्रीमेंट हुआ है जिससे 4500 रूपये प्रति किलो के भाव से घी बेचता हछ। मैं ऑनलाइन" इंडियामार्ट "वह डायरेक्ट इंटरनेशनल मार्केट से भी घी बेचता हूं । इंटरनेशनल मार्केट की टीम भी हमारे यहां आई ओर यहा की गुणवत्ता देखकर उन्होंने भी संतुष्टि जाहिर की साथ ही हमारे से टाइप किया।
जहां पशुपालक ने बताया कि हमारे यहा ब्रिड संवर्धन भी है जिसके पीछे मेरा मुख्य उद्देश्य देश गायो का सवर्धन कर बचाना है इसके लिए मैं ब्रिड संवर्धन का काम भी करता हूं मैं दावा करता हूं कि आने वाले समय में गाय का केंद्रीकरण हो जाएगा। आम आदमी वर्तमान में देसी नस्ल की गाय नहीं पालते हैं उनको आवारा छोड़ देते हैं यह देशी नस्ल की गाये धीरे-धीरे ऐसे लोगों के पास आ जाएगी फिर पशुपालक देसी नस्ल की गाय खरीद नहीं पाएगा। मैं यहां ब्रिड दूसरे को भी बेचताता हूं ।
भगवान श्री कृष्ण के भजन सुनाते हैं इसके पीछे क्या उद्देश्य है जिस सवाल पर पशुपालक ने कहा कि जब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण गौवंश चराते थे उसी से हमें प्रेरणा मिली उसी के साथ हम भी यह करते हैं। भगवान श्री कृष्ण के भजन सुनाने से गौमाता व हमें दोनों को आनंद मिलता है और गायों को बीमारी नहीं होती है यह कोई साइंटिफिक रीजन नहीं है लेकिन धार्मिक भावना जरूर है।
आप पशुपालकों से क्या अपील करना चाहते हो एक तरफ युवा सरकारी नौकरी की तरफ भाग रहे हैं और आप कारपोरेट जगत में काम करने के बाद वापिस पशुपालन पर आए जिस सवाल पर पशुपालक ने कहा कि युवा काम करना चाहते हैं उनके लिए इतना बढ़िया काम है। भारत में वर्तमान समय में 30% ही दूध उत्पादन होता है यह इस वर्ष का आंकड़ा है यानी यहा दूध बेचने के लिए मार्केट बहुत बड़ा है । साथ ही जो लोग मार्केट से 500 से 600 रूपये लीटर घी खरीद रहे हैं उनसे भी मेरा निवेदन है कि वह शुद्ध घी नहीं खा रहे हैं इनके बजाय वो घी नहीं खाएं । क्योंकि 1 लीटर शुद्ध घी बनाने में 30 लीटर दूध लगता है जब 30 लीटर दूध को बिलोना पडता हैं तब 1 लीटर घी का उत्पादन होता है । ऐसे में सस्ता घी कैसे मिलेगा साथ ही युवा अगर काम करना चाहते हैं तो यह काम वह कर सकते हैं मेरे यहां आए मैं उनको निशुल्क ट्रेनिंग दे दूंगा। एक बेरोजगार 10 गाये रख ले तो वह उसका परिवार भी आसानी से चला सकते हैं लेकिन वर्तमान में कुछ युवा मेहनत नहीं करना चाहते हैं ।
अब जरूरत है देश में सूरतराम जाट जैसे पशुपालक के जिन्होंने कारपोरेट जगत में काम करने के साथ ही देसी नस्ल की गाय पालने की शुरुआत की और महीने में लाखों रुपए घी बेचकर मेहनताना कमा रहे हैं।
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