भीलवाड़ा -(मूलचन्द पेसवानी) जीवन में हमेशा विपरीत परिस्थतियों में भी भगवान में आस्था व विश्वास रखे कभी संकट नहीं आएगा। एक रास्ता बंद होगा तो दूसरा रास्ता खुल जाएगा। ठाकुरजी 99वें रास्ते बंद कर दे तो भी अपने भक्त के लिए एक रास्ता अवश्य खुला रखेंगे कभी भी सभी 100 रास्ते बंद नहीं होंगे। नरसी मेहता की तरह भक्त बनकर देखे भगवान का आशीष भी अवश्य प्राप्त होंगा। ये विचार शनिवार को आरसी व्यास कॉलोनी स्थित श्रीसिद्धेश्वर शिव मंदिर परिसर में श्री सिद्धेश्वर महिला मण्डल की ओर से आयोजित चार दिवसीय नानी बाई रो मायरो कथा के पहले दिन कथा के शुभारंभ अवसर पर व्यास पीठ से कथावाचक श्री अर्जुनराम महाराज (जोधपुर वाले) ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने विचारों व गीतों के माध्यम से ईश्वर भक्ति की ऐसी रसधारा प्रवाहित की जिसमें आने वाला हर श्रद्धालु प्रेमभाव से सराबोर होता गया। इस आयोजन की खास बात ये भी है कि पूरी व्यवस्था का दायित्व भी महिला मंडल ने ही सम्भाल रखा है।
कथावाचक अर्जुनरामजी महाराज ने पहले दिन नरसी मेहता का जीवन परिचय देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में ईश्वर के नाम पर बच्चों का नाम रखने का चलन रहा है इसलिए भगवान नृसिंह के नाम पर नाम नरसी रखा गया था। उसने पांच वर्ष की उम्र में पहला शब्द राधाकिशन बोला था। नरसी सांवरियाजी का बहुत बड़ा भक्त था। उन्होंने जीवन में परमार्थ करने की सीख देते हुए कहा उसका फल अवश्य मिलता है। करोड़ो की संपति तो दूर एक सुई भी परलोक नहीं जा सकती लेकिन हमारी पुण्यरूपी संपति परलोक में भी काम आएगी। महाराजश्री ने कहा कि संसार में प्रेम का नाम राग और आसक्ति मिट जाए तो वैराग्य है। वैराग्य के बिना भगवान की प्राप्ति नहीं होती। सत्संग के कारण ही जीव भगवान की तरफ मुड़ता है। भक्ति से ओतप्रोत माहौल में महाराजश्री ने नानी बाई का मायरा कथा का वाचन करते हुए गौसेवा व मानवसेवा करने की प्रेरणा भी प्रदान की। कथा के दौरान गोपालकृष्ण भगवान के जयकारे गूंजते रहे। कथा के शुरू में व्यास पीठ की पूजा की गई। आयोजन के पहले दिन की कथा के समापन पर आरती जजमान पार्वती जागेटिया, लाड़जी सोमानी, गीता जाजू द्वारा
की गई। चार दिवसीय आयोजन के तहत 4 अप्रेल तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में कथा का आयोजन होगा।
*जीवन की सबसे बड़ी पूंजी आशीर्वाद, बड़ों को करें नित्य प्रणाम*
कथावाचक अर्जुनरामजी महाराज ने कहा कि प्रातःकाल उठकर माता-पिता सहित सभी बड़ो को और गुरूजनों को प्रणाम अवश्य करना चाहिए। प्रणाम से मिलने वाला आशीर्वाद सबसे अनमोल होता है। ये आशीर्वाद जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन में कभी भी उल्टे हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए इसे तिरस्कार करना माना जाता है। उन्होंने जीवन में आशीर्वाद का महत्व समझाते हुए कहा कि परिवार के बड़ो से आशीर्वाद होली दिवाली ही नहीं बल्कि हर रोज लेना जरूरी है। नित्य सुबह घर में जितने भी बड़े हो उनको प्रणाम कर आशीर्वाद लेना चाहिए।
*कलश यात्रा से हुआ आगाज*
श्रीसिद्धेश्वर महिला मण्डल की ओर से आयोजित चार दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा का विधिवत आगाज पहले दिन शनिवार सुबह कलश यात्रा के साथ हुआ। कलशयात्रा श्री सिद्धेश्वर शिव मंदिर से शुरू हुई और आरसी व्यास कॉलोनी सेक्टर-एक के प्रमुख मार्गो से होते हुए पुनः मंदिर पहुंच कर सम्पन्न हुई। कलशयात्रा में बड़ी संख्या में महिला मण्डल की सदस्य एवं अन्य महिला श्रद्धालु शामिल हुई। कई महिलाओं ने सिर पर कलश धारण कर रखा था।
*भजन शुरू होते ही थिरक उठते कदम*
तीन घंटे नानी बाई का मायरा कथा के दौरान व्यास पीठ पर विराजित कथावाचक श्री अर्जुनराम महाराज ने भगवान की भक्ति से ओतप्रोत गीतों व भजनों की प्रस्तुतियां भी दी। उनकी वाणी का ऐसा जादू छाया कि भजन शुरू होते ही भक्तगण अपनी जगह से उठ खड़े होकर थिरकने लगते थे। कुछ भजनों के दौरान तो भक्ति का ऐसा रंग चढ़ा की कई भक्तगण मंच के सामने खुली जगह पर समूह में नृत्य करने लगे।
*भीलवाड़ा की भक्ति भावना को सराहा*
व्यास पीठ पर विराजित कथावाचक श्री अर्जुनराम महाराज ने कथा के दौरान भीलवाड़ा की भक्ति भावना की सराहना करते हुए कहा कि भीलवाड़ा बहुत बड़ी नगरी है। यहां लोगों को सामर्थ्य के साथ भगवान ने सेवाभावना भी दी है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि श्री सिद्धेश्वर शिव मंदिर परिसर में कथा हो रही है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव के कई रूपों में एक रूप सिद्धेश्वर भी है।
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