राम राम बोलो अच्छा लगता है, ना पैसा लगता है ना कोई अन्य खर्चा लगता है, सबको यही अच्छा लगता है- आचार्यश्री स्वामी रामचरण महाराज के 225वें निर्वाण महोत्सव का हुआ समापन, 225 महिलाओं ने विशाल कलशयात्रा निकालकर दिया अनोखा संदेश, अणभैवाणी ग्रंथ की शोभायात्रा पर हुई पुष्पवर्षा, सूरजपोल झरोखे से आचार्यश्री ने सभी श्रद्धालुओं का अभिवादन स्वीकार कर दिया आशीर्वाद

शाहपुरा-( मूलचन्द पेसवानी) रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक आचार्य महाप्रभु स्वामी रामचरण जी महाराज के 225वें निर्वाण महोत्सव का का समापन आज मंगलवार को हो गया। पंच दिवसीय महोत्सव के अंतिम दिन सुबह महलों का चैक से रामनिवास धाम तक विशाल कलश व शोभायात्रा निकाली गई। 225 महिलाएं अपने सिर पर कलश धारण कर राम नाम का सुमिरन करती हुई चल रही थी। शोभायात्रा के आगे आगे स्वामी रामचरण कन्या विद्यापीठ व  रामस्नेही संस्कृत विद्यालय के सैकड़ों छात्र-छात्राएं अपने हाथों में संप्रदाय के सजे पताका लहराते हुए व हाथों में तख्तियां लेकर जयघोष करके शिक्षा, ज्ञान व शांति का अद्भुत संदेश दिया। शोभायात्रा के पीछे अणभैवाणी ग्रंथ को खुली जीप में अपने साथ रखकर रामस्नेही संत व अनुरागी रामनाम का जयघोष कर रहे थे। शाहपुरा राज परिवार की मुखिया जय सिंह को उनकी पत्नी मांडवी सिंह ने वाणी जी की आरती कर शोभा यात्रा को सुदर्शन स्टेडियम महलों के चैक से रवाना किया कलश व शोभायात्रा में 225 महिलाएं एक जैसे परिधानों में सजे कर अपने सिर पर फूल मालाओं से सजाए मंगल कलश लेकर इस कलश यात्रा में शामिल हुई। भव्य शोभायात्रा का जगह जगह पर तोरणद्वार सजाकर स्वागत किया। शाहपुरावासियों ने जगह जगह पर शीतल पेय पदार्थ की व्यवस्था करके व शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा कर रामस्नेही अनुरागियों का स्वागत किया। 


सूरजपोल झरोखे से आचार्यश्री ने अभिवादन कर दिया आशीर्वाद
 विशाल शोभायात्रा के रामनिवास धाम पहुंचने पर पूरे धाम में श्रद्धा व आस्था का ज्वर उमड़ पड़ा। यहां सूरजपोल के झरोखे से संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी रामदयाल महाराज ने सभी श्रद्धालुओं का अभिवादन स्वीकार करते हुए उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया इस दौरान कई रामस्नेही संत यहां मौजूद रहे। बाद में बारहदरी में पीठाधीश्वर स्वामी रामदयाल महाराज के प्रवचन हुए। 
नाम प्रताप ग्रंथ की बताई महिमा -
रामस्नेही अनुरागियों को स्वामी रामदयाल महाराज ने नाम प्रताप ग्रंथ की महिमा बताते हुए कहा कि इस ग्रंथ में राम शब्द 84 बार आता है यदि इंसान चैरासी से मुक्ति पाना चाहते हैं तो वह नाम प्रताप ग्रंथ का पाठ करें। आचार्यश्री ने यहां जब यह कहा कि  राम राम बोलो अच्छा लगता है, ना पैसा लगता है ना कोई अन्य खर्चा लगता है, सबको यही अच्छा लगता है तो पूरी रामनिवास धाम परिसर में राम नाम का जयघोष होने लगा। यहां आचार्यश्री ने कहा कि जो थोड़ी ही देर में चिंता ग्रस्त हो जाए या विचार ग्रस्त हो जाए वह जीव है और जो हर स्थिति में मुस्कुराए वही तो परमात्मा व भगवान है। 
चार जोड़ों को शील व्रत का दिलाया संकल्प -
महोत्सव के समापन पर रामनिवास धाम में आचार्यश्री के समक्ष कैलाश तोषनीवाल-कृष्णादेवी, बालमुकुंद बिड़ला-कौशल्यादेवी, महेंद्र राठी-मुन्ना देवी, जगदीश लढ्ढा-भगवती देवी ने शीलव्रत धारण किया। आचार्य श्री ने इन सभी को कंठी धारण करवा इस व्रत का नियम से पालन करने का संकल्प दिलाया। बाद में यहां आचार्यश्री की आरती वंदना हुई।