भाषा, साहित्य व कला के चार दिवसीय आयोजन मेला का समापन दिवस सुखाड़िया विवि कुलपति ने किया कविता संग्रह पानी व कहानी संग्रह गिर्वा का विमोचन मेरे लिए साहित्य के मायने विषय पर साहित्यकारों ने किए अपने अनुभव साझा

उदयपुर जागरूक - मौलिक संस्था व सुखाड़िया विवि के राजस्थानी विभाग के साझे में भाषा, साहित्य व कला के चार दिवसीय आयोजन मेला का समापन रविवार को सुखाड़िया विवि के बप्पा रावल सभागार में "रूह से रूह तक" में प्रस्तुतियों और दो पुस्तकों विमोचन के साथ हुआ। चौथा और अंतिम दिन राजस्थान साहित्य अकादमी के सहयोग से हिंदी भाषा के नाम रहा जिसके विभिन्न सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। समापन सत्र के मुख्य अतिथि सुखाड़िया विवि के कुलपति प्रो आई वी त्रिवेदी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में विश्वविद्यालय की ओऱ से इस प्रकार के आयोजनों में पूरा सहयोग दिया जाता है और आगे भी दिया जाता रहेगा।


कविता संग्रह पानी व कहानी संग्रह गिर्वा का विमोचन

मौलिक के संस्थापक शिवराज सोनवाल ने बताया कि सुखाड़िया विवि के कुलपति प्रो आई वी त्रिवेदी एवं अन्य अतिथियों ने चेतन औदीच्य के कविता संग्रह पानी व गौरीकान्त शर्मा के कहानी संग्रह गिर्वा का विमोचन किया। दोनों पुस्तकें राजस्थान साहित्य अकादमी के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुई है।   

 वंचित वर्ग की पीड़ा की अनुभूति के बगैर उनका साहित्य रचना कठिन – सांभरिया

मौलिक के संस्थापक शिवराज सोनवाल ने बताया कि चौथे व अंतिम दिन दलित व आदिवासी लेखकों के समक्ष चुनौतियां सत्र में विचार व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार रत्न कुमार सांमरिया ने कहा कि जब तक हाशिये पर पड़े समाज की पीड़ा की अनुभूति नहीं करेंगे तब तक उनके साहित्य की रचना सम्भव नही है। हाल ही में साम्भरिया का उपन्यास सांप बड़ा चर्चित हुआ है जिसमें उन्होने घूमन्तु जातियों के संघर्षों की कथा लिखी है। उनकी रचनाएं देश के कई विश्वविद्यालों में पढ़ाई जाती है। इस सत्र में प्रसिद्ध आलोचक व कवि कुंदन माली, जयपुर से आए गजाधर भरत, पन्ना लाल मेघवाल व गौरीकांत शर्मा ने भी विचार रखे। इससे पूर्व मेरे लिए साहित्य के मायने सत्र में प्रसिद्ध रंगकर्मी भानु भारती, भोपाल से आए भंवर लाल श्रीवास, महेन्द्र मोदी ने अपने अनुभव साधा किए। चेतन औदिच्य ने संचालन किया। स्त्री शक्ति एवं अभिव्यक्ति में संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित विजय लक्ष्मी आमेटा से आरजे दामिनी से वार्ता की। जतिन भारवानी ने लघु नाट्य प्रस्तुति दी।


राष्ट्रीय कला शिविर का समापन

मेला के कला निदेशक हेमन्त जोशी ने बताया कि मेला के दौरान लगे राष्ट्रीय कला शिविर का समापन भी हुआ। शिविर में चित्रकार चेतन औदीच्य, सुनील लढ्ढा, डॉ चित्रसेन, दर्शना राजवैद्य, नमित कड़िया, अर्चना मिश्रा, मिंटू कुमार, नीलोफर मुनीर और मृण शिल्पी भावेश सुथार ने अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए अपनी कलाकृतियां बनाईं।