नवरात्रि में कीजिए तुरंत फल देने वाली मां त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन , दिन में तीन बार बदलता हैं मां स्वरूप

बांसबाड़ा जागरूक -
राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित बांसवाडा को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता हैं । यहां विविध देवी देवताओं के प्रसिद्ध पुरातन असंख्य मंदिर है । जो निर्माण कला, शिल्प कला ओर अपनी भव्यता के लिए समूर्ण प्रदेश ही नही अपितु पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध हैं। आध्यात्म और पवित्रता की अजस्व धारा वाली निर्मल  सलिला माही नदी को यहां गंगा मानी जाती है। ऐसी पावन माही नदी के क्षेत्र में अनेक मंदिरों में बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूरी पर तलवाड़ा कस्बे के पास गांव उमराई में मां जगजननी त्रिपुरा सुंदरी माता जी का भव्य मंदिर है।

इसे आरंभ में तरताई माता के नाम से जाना जाता था। यहां राजस्थान एवं पड़ोसी राज्य गुजरात , मध्य प्रदेश से भी श्रद्धालु मां के दर्शनार्थ आते हैं। एवं मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं ।यह स्थल प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है शिवानी मां भगवती त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति अष्टादश भुजाओं वाली है । 5 फीट ऊंची इस विशाल मूर्ति में मां की अष्ट 10 भुजाएं में विविध आयुध पार्श्व में नवदुर्गाओं की प्रतिकृतियां अंकित है।  मां के पावन चरणों में सर्व सिद्धि प्रदान करने वाला विशाल श्री यंत्र निर्मित है । देवी मां के सिंह, मयूर व कमलासीनो होने व दिन में तीन रूपों प्रात काल में कुमारीका ,मध्यान्ह में सुंदरी तथा संध्या में प्रौढ़ रूप में दर्शन देने से यह त्रिपुरासुंदरी कहा जाता है। मूर्ति का सौंदर्य  और आभा का ऐसा आकर्षण है कि दर्शनार्थी प्रसनचित होकर मां के सामने घंटों तक आसन लगाकर बैठकर पूजा में लीन हो जाते हैं।

मंदिर निर्माण के काल का ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन विक्रम संवत 1540 का एक शिलालेख क्षेत्र में मिला है । इससे अनुमान लगता है कि यह मंदिर सम्राट कनिष्क के काल से पूर्व का है यहां आस-पास गटपोली नामक महानगर था। जिसके क्षेत्र में सीतापुरी , शिवपुरी और विष्णुपुरी नाम से तीन दुर्ग थे। शिलालेख में त्रिउरी शब्द का उल्लेख है इस आधार पर 3 दुर्गों के बीच देवी मां का मंदिर स्थित होने से इसे त्रिपुरा कहा जाने लगा। रियासत काल में बांसवाड़ा, डूंगरपुर ,गुजरात व मालवा प्रदेश मारवाड़ के राजा महाराजा भी मा त्रिपुरा सुंदरी के उपासक रहे हैं । प्राचीन समय में इस क्षेत्र में चांदा भाई उर्फ पाता भाई लोहार पंचाल ने त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इस मंदिर में दर्शनार्थ के लिए बड़े -बड़े दिग्गज़ राजनेताओं ने भी मां के चरणों में आराधना की थी। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  सहित राष्ट्रीय संत व फिल्म हीरोइन हेमामालिनी,  टीवी कलाकार तारक मेहता सहित कहीं राजनेता राष्ट्रीय संत व कलाकारों ने भी मां के चरणों में वंदना की थी।


जहा मंदिर के बाहर वर्षों से फूल व प्रसाद बेचने वाले दिनेश माली ने कहा कि त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ देवी है इनकी तंत्र साधने में बहुत मान्यता है इसलिए भारतवर्ष से लोग यहां श्रद्धा भाव से दर्शन करने आते हैं । नवरात्रि पर यहां विशेष आराधना की जाती है और मनोकामना पूरी होने पर भक्त प्रसाद व आभूषण चढ़ावे के रूप में चढ़ाते हैं त्रिपुरा सुंदरी दिन में तीन बार रूप बदलती है इसलिए इनको त्रिपुरासुंदरी कहा जाता है बागड़ इसे तरताई माता के नाम से भी जानते हैं तड़पाई का तात्पर्य है कि तुरंत फल देने वाली मां । यहां पर जो भी मनोकामना भक्त द्वारा मांगी जाती है वह तुरंत पूरी होती है। राजनेता भी यहां दर्शन करने आते हैं मां का दिन में तीन स्वरूप में दर्शन होता है।

वही नवरात्रि में दर्शन करने आए मां के पर ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि मैं आज यहा त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन करने आया हूं नवरात्रि में मां के दर्शन का विशेष महत्व रहता है बांसवाड़ा को मिनी काशी के रूप में भी जाना जाता है नवरात्रि में यहा दर्शन करने अच्छी भीड़ आती है।