निजी चिकित्सालय की हड़ताल की वजह से सरकारी चिकित्सालय में बढा भार भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल की 2700 पार पहुंची ओपीडी

भीलवाड़ा-हाल ही में राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पास किया गया जिसके विरोध मे प्रदेशभर में निजी चिकित्सालय के डॉक्टर हड़ताल पर है। जिसके कारण वर्तमान में भीलवाड़ा जिला मुख्यालय पर स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में की व्यवस्था चरमरा गई है जिसकी वजह से ओपीडी में लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही है।


राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में राजस्थान प्रदेश के निजी चिकित्सालय के चिकित्सक लगातार हड़ताल कर रहे हैं निजी अस्पतालों में मरीज भर्ती नहीं होने के कारण जिला अस्पताल में ओपीडी का भार लगातार बढ़ गया है। जहां भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल के ओपीडी पर पर्ची प्राप्त करने के लिए भी लंबी -लंबी कतारें देखने को मिल रही है। जहां वर्तमान में यहां 3000 के लगभग ओपीडी प्रतिदिन है ।

भीलवाड़ा जिला अस्पताल में भीलवाड़ा जिले के साथ पास ही स्थित चितौड़गढ़ व राजसमंद जिले के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं ऐसे में यहां ओपीडी में दिनोंदिन संख्या बढ़ती जा रही है । वर्तमान में मौसमी बीमारियां भी बढ़ रही है ऐसे में लोग निजी चिकित्सालय बंद होने से सभी महात्मा गांधी अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे हैं।

आर्थोपेडिक का हब बना हुआ है भीलवाड़ा - भीलवाड़ा के निजी चिकित्सालय में आर्थोपेडिक का इलाज बेहतरीन तरीके से होता है । ऐसे वर्तमान में चिकित्सकों की हड़ताल के चलते दूसरे जिलों से आर्थोपेडिक के मरीज नहीं आ रहे हैं लेकिन जो जिले के मरीज है वह अब निजी चिकित्सालय में नहीं जाकर सरकारी अस्पताल में ही इलाज करवा रहे हैं।

जहा महात्मा गांधी अस्पताल में अपनी बच्ची का इलाज करवाने आए राजेंद्र सिंह सोलंकी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि मेरी बच्ची यहा महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती है ज्यादा बीमार होने के कारण उसे अहमदाबाद लेकर गया लेकिन अहमदाबाद भी मना करने के बाद वापस यहा भर्ती करवाया है। जहा इनका उपचार जारी है। निजी अस्पताल की हड़ताल की वजह से आउटडोर में काफी भीड़ है जबकि इंडोर में बेड की ज्यादा व्यवस्था करने के कारण दिक्कत नहीं हो रही है।


वही अपने परिचित का इलाज करवाने आए बुजुर्ग ने कहा कि निजी अस्पताल बंद होने से सरकारी अस्पताल में भीड़ ज्यादा है लेकिन व्यवस्था ठीक कर रखी है यहा डॉक्टर को दिखाने में कतार में खड़ा रहना पड़ता है इसमें जरूर समय ज्यादा लगता है। लेकिन डॉक्टर मरीज को देखकर ही घर जाते हैं । सरकारी अस्पताल में इलाज के पैसे भी नहीं लगते हैं । सरकार ने जो राइट को हेल्थ बिल पास किया वह बहुत अच्छा बिल है क्योंकि अगर निजी अस्पताल में भी इलाज होगा तो बहुत अच्छा रहेगा। वर्तमान में अगर किसी के पास पैसे नहीं है तो निजी अस्पताल में इलाज नहीं करवा पाते हैं।

वही भीलवाड़ा जिले के अस्पतालों को लेकर भीलवाड़ा जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मुस्ताक खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि निजी चिकित्सालय जो विरोध चल रहा है उसके मध्य नजर रखते हुए भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज का जो अस्पताल है उसमें तमाम व्यवस्थाएं की है साथ ही जिले के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी इलाज की सुदृढ़ व्यवस्था की है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र से जिला स्तर के अस्पताल में मरीजो का दबाव कम होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में भी 25% भार बढा है । वहीं जिला अस्पताल के आई.सी.यू और एन.आई.सी.यू के बेड फुल हो चुके हैं लेकिन हमने वैकल्पिक व्यवस्था भी की है । वर्तमान में निजी चिकित्सालय बंद होने से 50% ओपीडी बढी है अभी 2700 के करीब ओपीडी चल रहा है। निजी चिकित्सालय बंद होने से ओपीडी बढी है लेकिन हम सब यह स्थिति में है की यह सभी मरीजों को इलाज दे पा रहे हैं।

 वही निजी चिकित्सकों का भी सरकारी चिकित्सकों पर दबाव है जिस सवाल पर सीएमएचओ डॉ मुस्ताक खान ने कहा कि चिकित्सक समुदाय है सब लोग एकता के लिए कहते ही हैं । जबकी भीलवाड़ा जिले का कोई भी सरकारी चिकित्सक हड़ताल पर नहीं है सभी अपनी सेवाएं माकूल दे रहे हैं।